Hapur News: जारी रहेगी वकीलों की हड़ताल

हापुड़। लखनऊ में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के पदाधिकारियों और शासन के प्रतिनिधियों के बीच बृहस्पतिवार रात हुई वार्ता के बाद हड़ताल वापसी की घोषणा को हापुड़ बार एसोसिएशन ने मानने से इन्कार कर दिया। हापुड़ के अधिवक्ताओं ने हड़ताल जारी रखने की घोषणा करते हुए कचहरी के बाहर धरना प्रदर्शन जारी रखा। दोपहर को बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने कचहरी से गढ़ रोड, रेलवे रोड होते हुए पैदल मार्च निकाला। वहीं अधिवक्ताओं ने प्रदेश की दूसरी बार एसोसिएशन को पत्र जारी कर आंदोलन में सहयोग मांगा है।
बृहस्पतिवार रात उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के पदाधिकारियों व शासन के अधिकारियों के बीच चली लंबी वार्ता में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई पर सहमति बनने के बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा की गई थी। लेकिन हापुड़ बार एसोसिएशन ने इस आदेश को मानने से इन्कार कर दिया। शुक्रवार सुबह अधिवक्ताओं ने हड़ताल जारी रखने की घोषणा कर दी। एसोसिएशन के अध्यक्ष एनुल हक ने इस संबंध में दूसरे जिलों की बार एसोसिएशन अध्यक्षों को पत्र जारी कर सहयोग मांगा। पत्र में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल पर मनमाने ढंग से हापुड़ बार एसोसिएशन के पीड़ित अधिवक्ताओं को विश्वास में लिए बिना आंदोलन समाप्ति का निर्णय लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से हापुड़ के अधिवक्ता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आरोपी अधिकारियों पर भी कार्रवाई का केवल आश्वासन ही मिला है। ऐसे में हापुड़ बार एसोसिएशन हड़ताल समाप्त करने पर सहमत नहीं है।

सड़क पर उतरे अधिवक्ता, पुलिस के खिलाफ की नारेबाजी
दोपहर भारी संख्या में अधिवक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर पैदल मार्च निकाला। अधिवक्ता कचहरी परिसर से पुलिस और शासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तहसील चौपला पहुंचे और यहां से गढ़ रोड होते हुए अतरपुरा चौपला से रेलवे रोड, फ्रीगंज रोड होते हुए कचहरी तक गए। इस दौरान अधिवक्ताओं ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पैदल मार्च के कारण तहसील चौपला और मेरठ तिराहे पर जाम की स्थिति रही। जिससे लोगों को परेशानी का भी सामना करना पड़ा।

शासन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं अधिवक्ता
एसोसिएशन के सचिव नरेंद्र शर्मा का कहना था कि शासन ने इस कार्रवाई में मात्र खानापूर्ति की है। जब तक डीएम, एसपी का स्थानांतरण और आरोपी आठ कोतवालों का निलंबन नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान दूसरे जिलों के अधिवक्ताओं से भी समर्थन मांगा जा रहा है।

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