मुजफ्फरनगर सीमा से सटे गांव प्रधानों को पसंद नहीं शहर:सीमा विस्तार के प्रस्ताव पर आज दर्ज कराई आपत्ति


मुजफ्फरनगर शहर से सटे गांवों के अधिकतर प्रधानों को सीमा विस्तार का प्रस्ताव रास नहीं आ रहा है। प्रधानों का मानना है कि इससे गांव वालों पर कई तरह के टैक्स लग जाएंगे। जबकि, शहर की मुख्य धारा में शामिल होने में समय लगेगा। असमय उनकी प्रधानी भी चली जाएगी। प्रस्ताव में शामिल गांव के आधा से अधिक प्रधानें डीएम को ज्ञापन देकर अपनी और से आपत्ति दर्ज कराई।

11 पूरा और 4 गांव शहर में आंशिक रूप से शामिल करने का प्रस्ताव
नगर विकास अनुभाग ने नगर पालिका परिषद की सीमा विस्तार का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। जिसके तहत 11 गांवों को पूरी तरह से शहर में शामिल कर लिया जाएगा। 4 गांवों का आंशिक क्षेत्रफल शामिल किया जाएगा। इसके लिए शासन ने संबंधित ग्राम प्रधानों से 7 दिन के भीतर आपत्तियां मांगी थी।

आपत्ति निस्तारण के बाद ही सीमा विस्तार का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। नगर विकास विभाग ने जो मसविदा तैयार किया है। उसमें सबसे बड़े गांव के रूप में सूजड़ू को शामिल किया जा रहा है। कूकड़ा और सरवट भी क्षेत्रफल के हिसाब से सूची में काफी ऊपर है। शहरी सीमा में शामिल करने के लिए 15 गांव का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, जिनमें सूजड़ू, वहलना, सरवट, मीरापुर, मंधेड़ा, खांजापुर, सहावली, बिलासपुर, शाहबुद्दीनपुर, अलमासपुर, बीबीपुर, मुस्तफाबाद और शेरनगर शामिल हैं।

"हमारी प्रधानी चली जाएगी"
मंधेड़ा गांव के प्रधान नरेन्द्र ने कहा, "मैं इस प्रस्ताव के विरोध में जिला प्रशासन से आपत्ति लगाऊंगा। सवा साल पहले ही मैं प्रधान बना। हमारे गांव में गरीब अधिक हैं। गांव नगर पालिका में शामिल हो गया, तो सभी को हाउस और वाटर टैक्स देना पड़ेगा। सुविधाएं आने में समय लगेगा। हमारी प्रधानी भी बीच में ही चली जाएगी।"

सूजड़ु गांव के प्रधान महताब ने कहा, "यह एक सियासी स्टंट है। इससे गांव वालों का कोई भला नहीं होगा। टैक्स लग जाएंगे और विकास के नाम पर मामला शून्य ही रहेगा। इसलिए सोमवार को वह इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराएंगे।"

कूकड़ा गांव प्रधान मेहरदीन ने कहा, "मैं और हमारे गांव वाले किसी भी सूरत में इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं। इससे लाभ कम और नुकसान अधिक होगा। वह इस प्रस्ताव के विरोध में आपत्ति दर्ज कराएंगे।" वहीं गांव वहलना के प्रधान गुलाब सिंह का कहना है कि सीमा विस्तार के बाद नगर पालिका को नगर निगम बनाया जाएगा। उससे सबसे बड़ी समस्या ये आएगी कि गांव के दुधारू पशुओं को गांव से बाहर जाना पड़ेगा। गांव में सभी के घरों में दुधारू व खेती किसानी से जुड़े पशु एवं डेयराी है। नगर निगम के नियम के अनुसार डेयरी शहर से बाहर होनी चाहिए। इसके अलावा गरीब गांव वालो पर टैक्स बढ जाएगा।

पूनम देवी बोलीं-प्रधानी चली गई तो नौकरी कर लेंगे
पूनम देवी अलमासपुर गांव की प्रधान हैं। उन्होंने कहा, "इससे गांव वालों को शहरी सुविधाएं मिल जाएंगी। लोगों को विकास की मुख्य धारा में शामिल होने का मौका मिलेगा।" गांव शहर में शामिल हो जाएगा, तो आपकी प्रधानी चली जाएगी। इस सवाल पर उन्होंने कहा, "मैं पढ़ी-लिखी हूं। हमारे पति भी पढ़े-लिखे हैं। दोनों मिलकर नौकरी कर लेंगे। हम इस बात से नहीं डरते हैं।"

नगर पालिका का बढ़ जाएगा 4 हजार 5 सौ 24 हेक्टेयर का रकबा
शासन की अधिसूचना के अनुसार, सूजड़ु गांव के रूप में शहर में 742.822 हेक्टेयर का रक्बा बढ जाएगा। इसके अलावा सरवट का 513.4668, कूकड़ा गांव का468.822 तथा बिलासपुर का 27.462 हेक्टेयर का रक्बा शहरी सीमा में शामिल हो जाएगा।

अलमासपुर 106.572 हेक्टेयर, शेरनगर 118.0330 हेक्टेयर, बीबीपुर 172.1570 हेक्टेयर और सहावली 171.211 हेक्टेयर क्षेत्रफल को शहरी सीमा के अंदर लाने का प्रस्ताव किया गया है। इन 15 गांवों से कुल 4524.4367 हेक्टेयर क्षेत्रफल मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् की सीमा में मिलाकर विस्तार करने की योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही 2011 की जनगणना के अनुसार नगरीय क्षेत्र की 3.92 लाख की आबादी सीमा विस्तार के बाद करीब 5.60 लाख हो जाएगी।

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